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द्वितीय दादागुरु देव पूजा सागरपाडा महावनादि, स्थानों में गुरु राया। विधिचैत्यों में प्रभु प्रतिष्ठा, उत्सव ठाठ मचाया रे ॥
जीवन उजियाले० ॥ ७ ॥ अजयमेर जिनदत्त परमगुरु, स्वर्गधाम-अभिरामी । स्तूप प्रतिष्ठा की सद्गुरुने, भव्य भक्ति दिल जामी रे ।।
___ जीवन उजियाले० ॥ ८॥ सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चरण का, दिव्यालोक प्रसारा । सुखसागर भगवान परमगुरु, दीपक का उजियारा रे॥
जीवन उजियाले० ॥६॥ हरि पूजित जिन शासन भासन, सदगुरु दीप समाना। दीपक पूजा पुण्य प्रकाशे, कीजें विनय विधाना रे॥
जीवन उजियाले० ॥ १० ॥
___ श्लोकआत्मावबोधोदय-भाववाही,
श्रीजैनचन्द्रो मणिधारीदादा। तत्पादपद्म-द्वितयं यजेऽहं,
प्रोद्यत्प्रदीपप्रतिदीपनेन ॥
ॐ ह्रीँ श्रीँ अहं परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते
श्रीजिनशासनोद्दीपकाय नरमणि मण्डित
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