Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ दादागुरु देव पूजा संग्रह मन्त्र ॐ ह्रीँ श्री अहं परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते जिनशासनोद्दीपकाय दादा श्रीजिनदत्त सूरीश्वराय नैवेद्म यजामहे स्वाहा ॥ ८-फल पूजा। सरस सुकोमल सफल-पद, पूजो श्रीगुरु-राज। नित सुर-शिवसुख फल मिले, निजधर अविचल राज ॥ (तर्ज - केसरिया थांसु प्रीत०) वरदायी गुरु की सेवा करो रे भवी भाव से ( टेर) श्रीजिनदत्तसूरीश्वर दादा, मनवांछित फलदानी । परम प्रभावक अतिशयज्ञानी. और न जिनके सानीरे ॥ वरदायी गुरु की० ॥१॥ विचरंता बड़नगर पधारे, उत्सवमय जयकारी । श्रीजिनशासन संघ महोदय, घर - घर मंगलाचारी रे॥ वरदायी गुरु की० ॥२॥ अभिमानी ब्राह्मण ईर्षानल-जलते कुमत विचारी। मृत गैया जिनमन्दिर आगे, रख निन्दा विस्तारी रे ।। वरदायी गुरु की० ॥३॥ For Private And Personal Use Only

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