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प्रथम दादागुरुदेव पूजा
२१ क्रान्तिकर नत्याग्रही-गुरु पूजकर संसार में । कीर्तिका विस्तार पूरा-शीघ्र अपना कीजियें ॥
गुरुदेव श्रीजिन ॥ ४ ॥ उन्नीससौ नव्यासी संवत् वरवसंत सुपंचमी । चन्द्रवार सुपूर्ण रंग-वसंत का लख लीजियें ॥
गुरुदेव श्रीजिन० ॥५॥ हाथरस दादा प्रतिष्ठा योग में उपयोग से । पूज्य सद् गुरु पूज अपना-पूज्य आतम कीजिये ।।
गुरुदेव श्रोजिन० ॥६॥ गणनाथ सुखसिन्धु गुरु भगवान सागर पूज्यवर । दिव्य करुणा पुण्यतम अवतार दर्शन कीजिये ॥
गुरुदेव श्रीजिन० ॥७॥ गुरु देव पूजा को “गणि हरिसिन्धुने" हर्षे रचो । गाते-रचाते जय महोदय- पुण्य पैदा कीजिये।
गुरुदेव श्रीजिन ॥ ८॥
श्री प्रथम-दादा शासन प्रभावकश्री जिनदत्तसूरीश्वर सदगुरु की आरती. आरति हर गुरु आरति कीजे, आरात्रिक दुखदामी । श्रीजिन दत्त सूरीश्वर दादा, साता दें अविरामी ॥१॥
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