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तृतीय दादा गुरुदेव पूजा
६--अक्षत पूजा।
दूहाअक्षत पद गुरुदेव का, अक्षत पद दातार । अक्षत पूजा कीजिये, अक्षत गुण भंडार ॥
(राग गजल) कुशल गुरुराज पद पूजा, कुशल पद दान देती है। कुशल गुरुराज की महिमा, अजब आनन्द देती है ।।
___कुशल गुरु० ॥ टेर ॥ मरु गुर्जर व सौराष्ट्र, सवालख सिन्धु पंजाबे । सुगुरु पद पावनी भूमी, अजब आनन्द देती है ॥
कुशल गुरु० ॥ १ ॥ सदा देशे पुरे ग्रामे, सुगुरु ने निज विहारों से। प्रवृत्ति धर्म की की वो, अजव आनन्द देती है।
कुशल गुरु० ॥२॥ सदा से जो विधर्मी थे, गुरु से धर्म पाकर वे । हुए धर्मी कथा उनकी, अजब आनन्द देती है।
कुशल गुरु० ॥ ३॥ गुरु उपदेश से निकले, हजारों संघ तीर्थों के। प्रतिष्ठाएँ हुई भारी, अजब आनन्द देती है।
कुशल गुरु० ॥ ४॥
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