Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 108
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०० चतुर्थ दादागुरु देव पूजा (तर्ज-महावीर तुम्हारी मोहन मूरति देखी मन ललचाय) जिनचंद गुरु जयकारी पूजो युगपरधान महान ।। टेर । गुरु योग-तपो बल धारी, बकरी संख्या त्रिविस्तारी। अकबर आश्चर्य अपारी-पाया,धन गुरुवर विज्ञान जि०॥१॥ काजी निजटोपी उडाई, गुरु रजोहरण से लाई। अद्भुत महिमा दिखलाई,धन धनसद्गुरु महिमावानजि०२ शासन रक्षक गुरु राया, अमावस पूनम गाया । पूरण वर चाँद दिखाया, थे गुरु पूरे पहुँचवान जि० ॥३॥ चोरों ने ग्रन्थ चुराये, गुरु महिमा अंध बनाये । सब चोर लगे गुरु पाये, त्यागी चोरी पाप प्रधान जि०||४|| तप संयम गुण तदवीरा, गुरु पंच नदी के पीरा । थे सधे असुर-सुर-वीरा, गुरु के सेवक भझिमान जि० ॥५॥ अकबर सम्राट सनरा. जोधाणपति सिंह' मूरा । बीकाणपतिराय पूरा,सद्गुरु परम भक्त गुणवान् जि०॥६॥ श्री जहांगीर फरमाना, साधु-विहार अटकाना । देबोध सुमुक्त कराना,गुरुकी शासन सेव महान् जि० ॥७॥ साह शिवा-सोम दो भाई, निर्धनता दूर भगाई। गुरु सेवा मेवा पाई, सेवो सद्गुरु सदा सुजान जि० ॥८॥ गुरु सुखसागर भगवाना, गुरु अशरण शरण प्रधाना। हरिगुरुपूजोसुविधिविधाना,पावोगुरु-पदगुरु गुणज्ञानजि०६ १-जोधपुर के महाराजा श्रीसूरसिंहजी २-बीकानेर के महाराजा श्रीरायसिंहजी गुरु महाराज के भक्त थे। For Private And Personal Use Only

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