Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ तिलोयपगत्तोण महावीरभासियत्थो तस्सि खेत्तम्मि तत्थ काले य । खायोवसमविवडिदचउउरमलमाहि' पुण्णेण(१) ॥७६॥ लोयालोयाण तहा जीवाजीवाण विविहविसयेसु। संदेहणासणत्थं उवगदसिरिवीरचलणमूलेण ॥७७॥ विमळे गोदमगोते जादेणं इंदभूदिणामेण । चउवेदपारगेणं सिस्सेण विसुद्धसीलेण ॥७॥ *भावसुदपजयेहि परिणदमइणा य बारसंगाणं । चोहसपुष्वाण तहा एकमुहुत्तेण विरचणा विहिदो ॥७॥ इय मूलतंतकत्ता सिरिवीरो इंदभूदिविप्पवरे । उवतंते कत्तारो अणुतंते सेसाइरिया ॥८॥ णिण्णद्वरायदोसा महेसिणो दिवसुत्तकत्तारो। किं कारणं पमणिदा कहिदुं सुत्तस्स सामण्णं ॥८॥ जोयणपमाणणयेहिं णिक्खेवेणं णिरक्खदे अत्थं । तस्साजुत्तं जुत्तं जुत्तमजुत्तं च पडिहादि ॥२॥ णाणं होदि पमाणं णउविणादुसहहिदयभावत्थो (१) । णिक्खेभो विउवाओ जुत्तीए अत्थपडिगहणं ॥३॥ इय णामं अवहारिय आइरियपरंपरावगदं मणसो। पुवाइरिया प्राराणुसरणअन्तिरयणणिमित्तं ॥४॥ मंगलपहुदिच्छक्कं वक्खाणिय विविहगंथजुत्तीहि । जिणवरमुहणिक्कंतं गणहरदेवेहि गंथितपदमालं ॥५॥ सासदपदमावण्णं पवाहरूवत्तणेण दोसेहि। णिस्मेसेहिं विमुक्कं आइरियअणुकमायादं ॥८६॥ भव्यजणाणंदयरं वाच्छामि अहं तिलोयपण्णत्ती। णिभरभत्तिपसादिदवरगुरुचलणाणुमावेण ॥८॥ सामण्णजगसरूवं तम्मि ट्ठियं णारयाण लोयं च । भावणणरतिरियाणं उतरजोइसियकप्पवासीणं ॥८॥ सिद्धाणं लोगो त्ति य अहियारो पयददिट्ठणवभए । तम्मि णिबद्ध जीवे पसिद्धवरवगणणासहिए ॥६॥ 1 AS तेस्सिं ; 2 चउरमलमईहिं (१) ; 3 B मिस्सेण ; 4 S भावसुदंपज्जाये ; 5 विहिदा (१), 6 णमो वि णादुस्स हिंदयभावत्थो (१), 7 A पदम्मलं ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 124