Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
View full book text
________________
तिलोयपएणत्ती
सही तमप्पहाए चरिमधरित्तीए होति चत्तारि। एवं सेढीबद्धा पत्तेक सत्तखोणीए ॥७॥
६०।४। चउरूवाई आदि पचयपमा पि प्रहरूवाई। गच्छस्स य परिमाणं हवेदि एकोणपण्णासा ॥८०॥
-४।८।४६। पदवगं पदरहिदं चयगुणिदं पदहदादिजुदम। मुहदलपहदपदेणं संजुत्तं होदि संकलिदं ॥८॥ रयण पहपहुदीसुं पुढवीसुं सव्वसेदिबद्धाणं। चउरुत्तरच्छस्ससया णवयसहस्साणि परिमाणं ॥२॥
९६०४। पददलहिदलंसलिदं इच्छाए गुणियपचयसंजुप्तं । रूणिच्छादियपदचयगुणिदं अवणि लद्धिदेआदी (?) ॥८॥ पडलहदवेकपाहावहरिदसंकलिदवित्तपरिमाणो । वेकपदंदेण हिदं आदि सोगेज्ज' तत्थ सेसचयं ॥८४॥
१६०४ अपवर्तिते
४६। अस्मिन् वेकपदंदेण हिंदं आदि। .
२४
सोदेज्ज' शोधितशेषमिदं
अपवर्तिते
॥८
॥
चयदलहदसंकलिदं चयदलरहिदादि अद्धकदिजुत्तं । मूलं पुरिमूलू पंचयद्धहिदमित्तं तु पदयथवा ८६॥
४१।४९
२
I सोधेज्ज (१), 2 सोधेज़ (१); 3 पदमथवा (१) ।

Page Navigation
1 ... 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124