Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 107
________________ तिलोयपण्णत्तो वणसंडवच्छणाहा वेदीकडिमुत्तएहि कतिल्ला । तोरणकंकणजुत्ता विजाहररायभवणमौडधरा ॥१२९॥ मणिगिहकंठाभरणा चलंतहिंदोलकुंडलेहिं जुदा । जिणवरमंदिरतिलया णयरणरिंदा विरायंति ॥३०॥ "पुबिदकमलवणेहिं वावीणिचएहिं मंडिया विउला । पुरवाहिरभूभागा उजाणवणेहिं रेहंति ॥१३१॥ कल्हारकमलकुवलयकुमुदुजलजलपवाहपदहत्था । दिन्वतलाया विउला तेसु पुरेसु विरायंति ॥१३२॥ जमणालवल्लतुवरोतिलजवगोधूममासपहुदीहिं । सव्वेहि सुधण्णेहि पुराई सोहंति भूमीहि ॥१३३॥ बहुदिव्वगामसहिदा दिव्वमहापट्टणेहिं रमणिजा। कब्बडदोणमुहेहि संवाहमडंबएहि परिपुण्णा ॥१३४॥ रयणाण सयायारहि विभूसिदो पंचमरायपहूदीणं । दिव्वणयरेहि पुण्णा धणधण्णसमिद्धिरम्महि ॥१३५॥ जंबकुमारसरिच्छा बहुविहविजाहिं संजुदा पवरा । विजाहरा मणुस्सा छक्कम्मजुदा हुवंति सदा ॥१३६॥ भच्छरसरिच्छरुवा अहिणवलावण्णदिव्वरमणिजा । विजाहरवणिताओ बहुविहविजासमिद्धाओ ॥१३७।। कुलजाईविजाओ साहियविजा अणेयभेयाओ। विजाहरपुरिसपुर वियाण वरसोक्खजणणीओ ॥१३८॥ रम्मुजाणेहि जुदा होंति हु विजाहराण सेढोओ। जिणभवणभूसिदाश्रो को सक्कइ वरिणदं सयलं ॥१३९॥ दसजोयणाणि तत्तो उवरि गंतूण दोसु पासेसुं। भभियोगामरसेढी, दसजोयणवित्थरा होदि ॥१४०॥ वरकप्परुक्खरम्मा फलिदेहि उववणेहिं परिपुण्णा । वावितलायप्पउरा वरअच्छरकोडणेहिं जुदा ॥१४१॥ कंचणवेदीसहिदा वरगोउरसुंदरा य बहुचित्ता । मणिमयमंदिरबहुला परिखा पायारपरियरिया ॥१४२॥ I मर (१); 2 पुष्फिद (१); 3 ABS णिवएहि ; 4 D स्यणाणवावरेहि; 5 ABS अमिभोगामा।

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