Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 99
________________ ९६ तिलोयपएणत्ती कणय व्व णिरुवलेहो णिम्मलकंतीसुगंधणिस्सासा । वरविविहभूसणयरा रविमंडलसरिसमंडसिरा ॥३८॥ रोगजरापरिहीणा पत्तक्क दसधणूणि उतुंगा। घेतरदेवा तेसुं सुहेण कोडंति सच्छंदा ॥३९॥ जीमंदर(१)जुत्ताइ विचित्तविण्णासभवणपुण्णाई। सददं अकिट्टिमाइं वतरणयराणि रेहति ॥४०॥ विजयंतवेजयंत जयंतअपराजयंतणामेहिं । चत्तारिदुवाराई जंबूदीवे चउदिसासु ॥४१॥ पुवदिसाए विजयं दक्खिणासाए वइजयंतं हि । अवरदिसाए जयंतं अवराजिदमुत्तरासाए ॥४२॥ एदाणं दाराणं पत्तेक्कं अट्ठ जोयणा उदओ। उच्छेहमट्ट रुंद होदि पवेसो वि वाससमं ॥४५॥ ८।४।४। • वरवजकवाडजुदा णाणाविहरयणदामरमणिज्जा । णिच्चं रक्खिज्जते वैतरदेवेहिं चउदारा ॥४४॥ दारोवरिमपएसे पत्तेक होदि दारपासादा। सत्तारहभूमिजुदा णाणावरवत्तवारणया ॥४५॥ दिप्पंतरयणदीवा विचित्तवरसालभंजिअद्धहा। दुभंत धयवडाया विविहालोच्चेहि रमणिज्जा ॥४६। अभंतरयणसाणुसमंतादो विविहरूवपुढजुत्तो । दोवच्छाराहिं भविदा पट्टसुयपढदिकयसोहा ॥४॥ उच्छेहउसपहदीसु दारभवणाण जेत्तिया संखा। तप्परिमाणपरूवणउवएसो संपहि पणट्ठो ॥४८॥ सीहासणछत्तत्तयभामंडलचामरादिरमणिजा। रयणमया जिणपडिमा गोउरदारेसु सोहंति ॥४९॥ तस्सिंदीवे परिही लक्खाणिं तिगिण सोलससहस्सा । जोयणसयाणि दोगिण य सत्तावीसादिरित्ताणि ॥५०॥ ३१६२२७॥ I B वैजयंतं ; 2 s अटुंहा; 3 उमंत (१), 4 जुत्ता (१)।

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