Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 97
________________ १४ तिलोयपएणती वेढेवि तस्स जगदी अट्ट चिय जोयणाणि उत्तंगा। दीवं तं मणियत्तं सरिसं होहण वडयणिहा ॥१५॥ जो ८। मूले बारस मज्झे अट्ठ चिय जोयणाणि णिहिट्ठा । सिहरे चत्तारि पुढं जगदीमंदस्स परिमाणं ॥१६॥ , १२।८।४। दो कोसा अवगाढा तेत्तियमेत्ता हुवेदि वजमयं । मज्झे बहुरयणमवो सिहरे वेरुलियपरिपुण्णा ॥१७॥ कोस २। तीप मूलपएसे पुज्वावरदो य सप्त सत्त गुहा । परतोरणा य रामा अणाइणिधणा विचित्तयरा ॥१८॥ जगदीउवरिमभाए बहुमज्झे कणयवेदिया दिव्या । बे कोसा उत्तुंगा वित्थिरणा पंचसयदंडा ॥१९॥ को २। दंड ५००। जगदीउवरिमरुदो वेदीलंद खु सोधिद्धकदो।..' जं अद्धमेक्कपासे तं विक्खंभस्स परिमाणं ॥२०॥ पण्णरससहस्साणिं सत्तसया दंडधणूणि पण्णासा। , अभंतरविक्खंभा बाहिरवासोधितंमेत्ता ॥२१॥ .. १५७५०। वेदीदो पासेसुं उपवणसुंडो' हवंति रमणिज्जा। घरवावीसंजुत्ता विचित्तमुणिआरपरिपुण्णा ॥२२॥ जेद्वा दोसयदंडो विक्खंभजुदा हवेदि मज्झिमया। पण्णासं चहियसयं जघराणवावी वि सयमेक्कं ॥२३॥ दं २००। १५०। १००। .. तिविहाउ वावीउ णिय मंददसंसमेत्तमवगादा। काधारकमलकुवलयकुमुदो मोदेहिं परिपुण्णा ॥२४॥ २०। २५। १०। पायारपरिमदाई वरगोउरदारतोरणाई पि।। अभंतरम्मि मागे महोरगाणं च चेट्ठति ॥२५॥ 1 वासो हि तमेत्ता (१); 2 संडा (?) 3 णियमहोदस-(१)। 4 कुमुदामोदेहि (8)

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