Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 26
________________ तिलोयपएणत्तो E २८ | = ४६ | ३४३ । ३४३ । पुगिणदखिदीणं रज्जूए घणा सत्तरी होति । एदे तिगिण वि रासी सत्तत्तालुत्तरसय मेलिदा ॥२१॥ = ७० = १४७ ३४३ ३४३ । अट्ठविहं सव्वजगं सामण्णं तह दोणि चउरस्स। जवमुरभजवमझ – मंदरसाइगिरिगडयं ॥२१६॥ सामगणं सेदिघणं आयदचोरस्स वेदकोडिभुजा। सेढी सेढीअद्ध दुगुणिदसेढी कमा होति ॥२१॥ --1७।७। भुजकोडीवेदेसुं पत्तक्क मुरवखिदिए' विंदुफलं। तं पंचवीसहदं जवमुर वमहिए जवखेत्तं ॥२१॥ पहदो णवेहि लोउ चाहसभजिदा य मुरवविदफलं । सेदिस्स य घणमाणं उभयं पि हवेदि जवमुरवे ॥२१॥ घणफलमेकम्मि जवे पंचत्तीसदुभाजिदो लोगो।। तप्पणतीसं दुहदं सेढिघणं हेादि जवखेत्ते ॥२२०॥ 5.३५ | == |-५-२-१ चदुतियगितीसहिं तियतेवीसेहिं गुणिदरज्जूभो । तियतियदुच्छदुच्छभजि(द)मंदरखेत्तफलं ॥२२॥ ३-१५ ७२ ७२ १४ ३६२ ७२७०० ११११ २२२२ ११११ २२२२ । सत्तचाल (१); 2 - खिदीए (१); 3 In some Mss. it looks like s।

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