Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 62
________________ तिलोय पण्णत्तो चतारो कोदंडा तिय हत्था अंगुलाणि तेवीसं । दलिदाणि होदि उदऊ विभंतयणामि पडलम्मि ॥२२५॥ दं ४, ह३, २३ | पंचचिय कोदंडा एक्को हत्थो य वीस पव्वाणी । ततियम्मि उद्ऊ पराणतो पढमखोणी ॥२२६॥ दं ५, १, २० । छ चिय कोदंडाणि चत्तारो अंगुलाणि पव्वद्ध ं । उच्छे हो णादव्वो पडलम्मि य तसिदणामम्मि ॥ २२७॥ दं ६, ४, भां १ २ बाणासणाणि छ श्चिय दो हत्था तेरसंगुलाणिं पि । वक्तणामपडले उच्छेहो पढमपुढवीए ॥२२८॥ दं ६, ह २, श्रं १३ । सतय सरासणाणि अंगुलया एक्कवीसपव्वद्ध । पडलम्मि य उच्छेहो होदि अवक्कंतणामम्मि ॥२२९॥ दं ७, २१, भा १ २ सत व सिखासणाणि हत्थाइं तिरिण छच्च अंगुलयं । वरमिंदयम्मि उदऊ विक्कंते पढमपुढवीए ॥ २३०॥ दं ७, ह ३, अ ६ । दो हत्थो वीसंगुल एक्कारसभजिद दो वि पव्वाईं । पयाईं वड्डीऊ मुहसहिदे होंति उच्छेहो ॥२३१॥ ह २, २० भा २ ११ वि सिहासणाणि दो हत्था अंगुलाणि चउवीसं । एक्कारसभजिदाई उदो पुरा बिदियवसुहाए ॥२३२॥ दं ८, ह २, अ २४ । व दंडा बावीसंगुलाणि एक्कारसम्मि चउपव्वं । भजिदाउ सो भागो विदिप वसुहाय उच्छेहो ॥२३३॥ दं ९, अं २२, भा ४ गए |

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