Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोयपएणत्तो
पण्णरसकोदंडा दो हत्था बारसंगुलाणि च । आतमपडले थणलोलगाग्म बिदियाय उच्छेहो ॥२४२॥
दं १५, ६२, अं १२ । एक्क.धण दो हत्था बाधीस अंगुलाणि दो भागा। तियभजिदं णायव्वो! मेघाए हाणिवुड्डीओ ॥२४३॥
घ १, ह २, अं २२, भा २
सत्तरसं चावाणिं चोत्तीसं अंगुलाणि दो भागा। तियभजिदा मेघाए उदओ तत्तिदयंमि जीवाणं ॥२४४॥
. ध १७ । अं ३७। भा २
एक्कोणवीस दंडा अट्ठावीसंगुलाणि तिहिदाणि । तसिदिंदयंमि तदियक्खोणीए णारयाण उच्छेहो ॥२४॥
. ध १९, अं २८
वीसस्स दंडसहियं सीदीए अगुलाणि होदि तदा । तदियं चयपुढवीए तवणिंदयणारयमि उच्छेहो ॥२४६॥
ध २०, अं ८०। णउदिपमाणा हत्था तदिविहत्ताणि वीस पव्वाणि | मेघाए तवर्णिदयठिदाण जीवाण उच्छेहो ॥२४॥
ह९०, अं २०
सत्ताणऊदी हत्था सोलस पव्वाणि तियविहत्ताणि । उदो णिदाघणामाए पडले णारण जीवा ॥२४८॥
ह ९७, अं१६
छन्वीसं चावाणिं चत्तारी अंगुलाणि मेघाए । पज्जलिदणामपडले ठिदाण जीवाण उच्छेहो ॥२४९॥
ध २६, अं४।

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