Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोयपण्णत्ती
सत्तावीसं दंडा 'तियहत्थो अट्ठ अंगुलाणि च । तियभजिदाई उदओ उजलिदे णारयाण णादव्वो ॥२५॥
ध २७, ह ३, भा एकोणतीस दंडा दो हत्था अंगुलाणि चत्तारि। तियभजिदाई उदओ संजलितदियपुढवीए ॥२५॥
घ २९, ह २, अं४
३। एकतीसं दंडाए एक्को हत्थो अ तदिह'पुढवीए । संजलिदे चरिमिंदयणरइया होदि उच्छाहो ॥२५२॥
ध ३१, ह १ चउ दंडा इगि हत्थो पव्वाणि वीस सत्त पडिहत्ता । चउ भागा तुरिमाए पुढवीए हाणिवड्डीउ ॥२५॥
ध४, ह १, अं२०, मा ४
पणतीसं दंडाए हत्थाई दोगिण वीस पवाणिं । सत्तहिदा चउभोगा उदओ आरहिदाण जीवाणं ॥२५४॥
ध ३५, ह २, २०, भा ४
चालीसं कोदंडा वीसम्भहि सयं च पव्वाणिं । सत्तहिदं उच्छेहो पंचाए मारपडलजीवाणं ॥२५५॥
ध४०, अं १२०
चउदालं चावाणिं दो हत्था अंगुलाणि छण्णउदी। सत्तहिदो उच्छेहो "तारिंदयसंठिदाण जीवाणं ॥२५६॥
ध ४४, ह २, अं९६
एक्कोणवण्ण दंडा बाहत्तरि अंगुला य सत्तहिदा ।
तत्तिदयम्मि तुरिक्खोणोए णारयाण उच्छेहो ॥२५॥ I A तिहत्थो; 2 A अत्तदिय ।।

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