Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोयपएणत्तो
उणसीदिसहस्साणिं छप्पण्णा जोयणाणि दंडाई। सत्त सहस्सा पणसयबत्तीसा होति किंचूणो ॥७२॥
___ ७९०५६। ६ ७५३ २। विजयादिदुवाराणं पंचसयाजोयणाणि वित्थारो। पत्तक्क उच्छेहो सत्त स्याणिं च पण्णासा ॥७३॥
जो ५००। ७५०। दारोवरिमपुराणं रुदा दो जोयणाणि पत्तेक्व । उच्छेहो चत्तारि केई एवं परूवंति ॥४॥
२।४। पाठान्तरम् । एदेसि दाराणं अहिवइदेवा हवंति चित्तरया । जंगामा ते दारा तंणामा ते वि रक्खादो' ॥५॥ एक्कपलिदोवमाऊ दसदंडसमाणतुंगधरदेहा । दिव्वामलमउडधरा सहिदा देवीसहस्सेहिं ॥७६।। दारस्स उवरिदेसे विजयम्स पुरं हवेदि रयणम्मि । बारससहस्सजोयणदीहत्तस्सद्धविक्खंभं ॥७॥
१२०००। ६०००। चउगोउरसंमुत्ता तदवेदी तम्मि होदि कणयमई । चरियथालयचारूदारोवरि' जिणपुरेहि रमयारो ॥८॥ विजयपुरम्मि विचित्ता पासादा विविहरयणकणयमया | समचउरस्सा दीहा अणेयसंठाणसोहिल्ला ॥७९॥ कुंदेंदुसंखधवला मरगयवगणो सुवण्णसंकासा। वरपउमरायसरिसा विचित्तवण्णंतरा पउरा ॥८॥ पुउलंगमंतभूसणअभिसेउप्पच्छिमेहुणादोणं । सालाउ विसालाउ रयणमईउ विराजंति ॥८॥ ते पासादा सव्वे विचित्तवणसंडमंडणा रम्मा । विप्पंतरयणदीवा वरधूवघडेहिं संजुत्ता ॥८२।। सत्तहणवदसादियविचित्तभूमीहिं भूसिदा चिउला ।
दुच्छंतरपरदाया(?) अकट्टिमा सुट्ट, सोहंति ॥८३॥ "IB रक्खादे ; 2 S A चरिबहालब; 3 उप्पेच्छ or उप्पत्ति ?); 4 विउला (१) ।

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