Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोयपण्णत्तो
णवणउदीजुदचउस्सयछसहस्सा जोयणाणि बे कोसा। पंच कला णवभजिदा घम्माए सेढिबद्धविश्वालं ॥१८॥
१६४९९ कोस २ ५
उणषण्णा दुसयाणि तिसहस्सा जोयणाणि मेघाए । दोगिण सहस्साणि घणू सेढीबद्धाण विचालं ॥१८३।।
३२४९ । दंड २०००। णवहिदबावीससहस्सदंडहीणा हवेदि छासही । जोयणबत्तोससयं तुरिमाए सेटिबद्धविश्वालं ॥१८॥
__३६६५ दंड ५५५५ । ५ अट्ठाणणउदी जोयण चउदालसयाणि छस्सहस्सधण। धूमप्पाहपुढवीए सेढीबद्धाण विच्चालं ॥१८५॥
४४९८ । दंड ६०००। अट्ठाणउदी णवसय छसहस्सा जोयणाणि मघवीए । दोगिण सहस्साणि धणू सेढीबद्धाण विच्चालं ॥१८॥
६९९८ दंड २०००। णवणउदिसहिदणवसयतिसहस्सा ज़ोयणाणि एक्ककला । तिहिदा य माववीए सेढीबद्धाण विच्चालं ॥१८॥ . ३९९९। १
३। सहाणे विच्चालं एवं जाणिज तह परवाणे। जं इंदयवरठाणे भणिदं तं पत्थ पत्तव्यं ॥१८८॥ णवरि विसेसो एसो लल्लंकयअवधिठाणविच्चाले । जोयणयाधं छभागूणं सेढीबद्धाण विच्चालं ॥१८९॥
॥ सेढीबद्धाण विच्चालं ,सम्मत्तं ॥ । छक्कदिहिदेकणउदी कोसोणा छसहस्सपंचसया । जोयणया धम्माए पइण्णयाणं हवेदि विच्चालं ॥१९॥
६४५९ को १ । १७ ।।
1. Numbers are confused in all the Mss.; I am following contie nuous numbering upto the close of an Adhikāra; 25 17

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