Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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दिलोयपाणी रज्जुस्स सत्तभागो तियदुपंचेकचउसगेहिं हवा ।
खुलयभुजाण दा सादी भवाहिरए ॥१८॥ ४९३६ ६ । ४९२ । ४६ ५ ॥४६ १ । ४६ ५। ४६ ७ ।
रज्जुस्स सत्तभागो तियबदुपंचेकवउसमेहि हदा।। खुलयभुजाण कंदा सादी थभवाहिरए ॥१५॥ -३।-६।-२।-।-१-४-७॥
કર કર કર કર કર કર કર लोयते मला दिया अवमाम संझुत्ता। सचमखिदिपलता' भडाइना हति फुडं ॥१८॥
३४३ ३४३ उभयेसि परिमाणं बाहिम्मि अभंतरम्मि रज्जुघणा । छट्टक्खिदीपेरंता तेरसदारुवपरिहत्ता ॥१८॥
३४३।२ बाहिरछन्भासेसु अवणीदेखें हवेदि अवसेसुं। सतिभागछकमेतं तं चिय' भन्भतरं खेतं ॥१८॥
३४३। ६ ३४३।। पाउनु सुघणं धूमपहाए समासमुट्ठि । पंकाए चस्मिते इगिरजमुघणा तिभागणं ॥१८॥
३४३ २ ३४३ २ रज्जुघणा सत्त थिय छभारणा चउत्पदवीए । भन्भंतरसि भागो खेलमस-प्पसाखमिवं ॥१९॥
३४३। ६ IAS A 2 प्रज्जंता (१), 3 AS तत्रिय or तदित, 4 AS बाहु। .

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