Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 19
________________ १६७ तिलोय पण्णत्ती समप्पदे रज्जू । महतमहिमयते छी हि तत्तो सत्तंमरज्जू लोयस्स तलम्म गिट्ठाद ॥ १५७॥ ७। ६ । ७। ७। जिगस्स उवरिमभागादु दिवडुरज्जुपरिमाणं । इगिजोयणलक्खू सेाइम्मविमाणधयदंडे ॥१५८॥ १४३ । १४३ । Erfa दिवरज्जू माहिंदसणक्कुमार उवरिम्मि । गिहादि अद्ध' रज्जूवमुत्तरउडुम्मि भार्गाम्म ॥१५६॥ १४ । कविवर भागमि । व्यवसादिअद्धरज्जू सच्चिय महसुक्कोवरि सहसारोवरि अ स च्चेय ॥ १६० ॥ १४ । १४ । १४ । तत्तो य अद्धरज्जू आणद कप्पस्स उवरिमपसे । स य आरणस्स कप्पं सेा उवरिमभागम्मि गेवज्जं ॥ १६२॥ तत्तो उवरिमभागे णवाणुत्तरउ होति एक्करज्जूवो । एवं उवरिमलोए रज्जु विभागा समुद्दिट्ठ ॥ १६२॥ णियणियचरिमिंदयधयदंडग्गं कप्पभूमित्रसारणं । कपादीदमही विच्छेदो लोयविच्छेदेो ॥ १६३॥ सेदीय सत्तसो हेट्टिमलोयस्स होदि मुहवासो । भूमीवासो सेढीमैत्ताश्रवसा उच्छेहा ॥१६४॥ 111115 मुह भूमिसमासमद्दियगुणिदं पुण तह य वेरेण । घणघणदं णादव्वं वेत्ताससरिगए खेते ॥ १६५ ॥ हेमिलो लोभ उगुणिसमहिदाविंद ' फलं । तस्सद्धे सयलजुदागो दोगुणिदा सत्तपरिमाणो ॥ १६६ ॥ =४|=२||७| छेत्तू तसणालिं अन्नत्थं ठाविण बिंदफलं । - श्राणेज तप्यमाणं उण' वगणेहिं विभत्तलोयसमं ॥१६७॥ I ABS छट्ठीहिं ; 2 BS अट्ठ) 3 से ( 2 ) ; 4 AB रज्जू; 5s विदु; 6 A उग्ग ।

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