Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 18
________________ सिलोयफ्मणत्तो एवमवसेसखेत्तं जाव समं पेरि'ताव घेत्तव्यं । एक्केकपदरमाणं एक्केक्कपदेसवहलेणं ॥४॥ एदेण पयारेणं णिप्पण्ण तिलोयखेत्तदोहस्तं । वासउदयं भषामो हिस्सह" दिविवादादा ॥१४॥ सेदिपमाणायामं भागेसु दक्खिणुप्तरेसु पुढं । पुव्वावरेसु वासं भूमिमुहे सत्त येकपचेका ॥१४॥ चोइसरज्नुपमाणो उच्छेहो होदि सयललोगस्स । अद्धमुरजस्सुदवो सामम्गमुरखोदयसरिच्छो ॥१५०॥ १४।- -1 हेहिममज्झिमउवरिमलोउच्छेहा कमेण रज्जूवो। सत्त य जोयणलक्खं जोयणलक्खूणसगरज्जू ॥११॥ ७। जो १००००० । ७ । रिण जो १००००० । इह रयणसकरावालुपंकधूमतममहातमादिपहा । मुरवद्धम्मि महीओ सत्त चिय रज्जुअन्तरिया ॥१५२॥ घम्मावंसामेघाजणरिद्वाणउम्भमघवीओ।। माधविया इय तायां पुढवीणं गणामाणि ॥१३॥ मज्झिमजगस्स हेहिमभामादो हिम्मदो पढमरज्जू । सकरपह पुढवीए हेहिमभागम्मि णिद्वादि ॥१५॥ तत्तो दोइद" रज्जू वालुवपहहेहि समप्पेदि । तह य ताजा रज्जू पंकपहहेढस्स भागम्मि ॥१५॥ ७१।७।२।७।३। धूमपहाए हेटिमभागम्मि समपदे तुरियरज्जू ॥ तह पंचमिश्रा रज्जू तमप्पहाहेहिमपएसे ॥१६॥ ४ । ___परि (30; 2 णिसद (१); 3 S भूमिमहे; 4 जण (१), 5 AB गात, s गोत, 6-AB समरसेह। 75 दो इह, 8 AS पंकपहेहस्स

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