Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 40
________________ तिलोयपण्णत्ती ३७ पढमम्हि इंदयम्हि य दिसासु उणवण्णसेढिबद्धा य । अडदालं विदिसासु विदियादिसु एक्कपरिहीणा ॥३८॥ ४८/ १८ एक्कततेरसादी सत्तसु ठाणेलु मिलिदपरिसंखा । उणवण्णा पढमादो इंदयपडिणामयं होंति ॥३९॥' सीमंतगो य पढमं णिरयो रोरुग य भंतउभंता। संभंतयसंभंत' विम्भंता तध तसिदा य॥४०॥ वक्कंतयवक्ता विक्कतो होति पढमपुढवीए। थणगो तणगो मणगो वणगो दाघो य संघादो ॥४१॥ जिम्बाजिम्बगलोला लोलयथणलोलुगाभिधाणा य । पदे बिदियखिदीए एक्कारस ईदया होंति ॥४२॥ तेत्तो सीदो तवणो तावणणामा णिदाघपजलिदो । उज्जलिदो संजलिदो संपन्जलिदो य तदिपुढवीए ॥४३॥ भारो मारो तारो तचो तमगो तहेव वादेय । खडखडणामा तुरिमंखोणीए इंदया तस्स ॥४४॥ तमभमझसयं चाविलतिमिसो दुच्चुपहा छट्ठीए । हिमवद्दलललक्का सत्तमअवणीए अवधिठाणोत्ति (?)॥४५॥ ५।३।१। घम्मादीपुढवीणं पढमिंदयपढमसेढिबद्धाणं । णामाणि णिरूवेमो पुवादिपदाहिको (१) कमेण ॥४६॥ - L ABS 40, 2 A सम्भंत, 5 सज्झत ; 3 तत्तो(१); 4 $ तव्यो; 5 AB वाविल ।

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