Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
View full book text
________________
तिलोयपएणत्तो
। जम्मणभूमिगदा। पावेणं णिरयबिले जादूणं ता मुहुप्तगंमेस्ते। छप्पजत्ती पाविय आकसिय भयजुदो होंदि ॥३१५॥ भीदीए कंपमाणो चलिदं दुक्खेण पश्चिो संतो। छत्तीसाउहमज्झे पडिदूणं तत्थ उप्पलइ ॥३१६॥ उच्छेहजोयणाणिं सत्तधणुच्छसहस्सपंचसया । उप्पलइ पढमखेत्ते दुगुणं दुगुणं कमेण सेसेसु ॥३१७॥
___ जो ७ ध ६५००। वट्ठ णमयसिलंबं जह वग्धो तह पुराणणेरइया । णवणारअं णिसंसा णिभच्छंता पधावंति ॥३१८॥ साणगणा एक्केक्के दुक्खं धावंति दारुणपया। तह अण्णोरणं णिच्चं दुस्सहपीडादि कुव्वंति ॥३१९॥ चक्कसरसूलतोमरमोग्गरकरवत्तकोतसूईणं । मुसलासिप्पहुदीणं वणणगदाबाणणादीणं ॥३२०॥ वयवग्यतरच्छसिगालसाणमजालसीहपसूणं । अण्णोण्णं च सदा ते णियणियदेहं विगुवंति ॥३२१॥ गहिरबिलधूममारुदअइतत्तकहल्लिजंतच्चूलीणं । कंडणिपीसणिवीणरूवमण्णे विकुव्वंति ॥३२२॥ सूवरवणग्गिसोणिदकिमिसरिदहकूववाइपहुदीणं । पुहुपुहुरूवविहीणा णियणियदेहं पकुव्वंति ॥३२३॥ पुच्छिय पलायमाणं णारइयं वग्घकेसरिष्पहुदी । वजमयवियलतोंडा कत्थवि भक्खंति रोसेण ॥३२४॥ पीलिज्जते केई जंतसहस्सेहिं विरसविलवंता । अण्णे हम्मति तहिं अवरे छेज्जंति विविहभंगीहिं ॥३२५॥ अण्णोण्णं बझते वजोवमसंखलेहि थंभेसु । पजलिदम्मि हुदासे केई छुभंति दुप्पिच्छे ॥३२६॥ फालिज्जते केई दारुणकरवत्तकट्टअमुहेहि । भगणे भयंकरहिं विझति विचित्तभल्लेहिं ॥३२॥ लोहकलाहावहिदतेल्ले तत्तमि केवि छुम्भंति। पतूणं पन्वते जलंत जालुक्कडे जलणे ॥३२८॥

Page Navigation
1 ... 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124