Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोय पणती
२१०५ । ५ । १०५२ । १२ । ५२६ । ६ । १९
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। एवं विरणासो सम्मन्तो । भरखिदीबहुमज्मे विजयद्धो गाम भूधरो तुंगो । रजदम वट्टे दि हु' गाणावररयणरमणिजो ॥१०७॥ पणवीसजोयदओ जुत्ता तह गुणमूलविक्खंभा | उदयतुमिस्स गाढा जलणिहिपुट्टा तिसेढिगओ ॥ १०८ ॥
२५ । ५० । २५ ।
४
दसजोयणाणि उवरिं गंतूगां तस्स दोसु पासेसं । विजाहरागण सेढी एक्केक्का जोयणाणि दस रुंदा ॥ १०९ ॥
१० ।
विजयड्डायाणं हुवंति विजाहराण सेढीओ । एक्का तह वेदी गाविहतोरणेहिं कियसोहा ॥११०॥ दक्खि दिससेढी पण्णास पुराणि पुव्वबहुद्दिम्मि' । उत्तर सेढीय तह गयरागिं सहि वट्टति ॥ १११ ॥ द् ५० । उ ६० ।
तराणामा
किंणामिद किंगरगीदाइ तह य णरगीदं । बहुकेदुपुंडरीया सीहद्धयसेदकेदूइ ॥ ११२ ॥ गरुडद्वयं सिरिप्पहसिरिधरलोयगला अरिंजयकं । वरग्गलवरंदा विमोजिया जयपुरी य सगडमुही ॥ ११३ ॥ चंदुमुहवहुतुहअरजंखायाणि विरजक्खणामविक्खादं । तत्तो रहणेउर मेहलग्गखेमंपुरावर जिदद्या ॥११४॥ गामेण कामपुष्कं गयणचरी विजयचरियसुक्कपुरी | तह संजयंतणयरी जयंतविजाइवइजयंतं च ॥११५॥ खेमंकरचंदाभा सूराभवुरुत्तमावुवाइ पि (?) । चित्तमहाकूडा सुवण्णकूडातिकूडा य ॥१९६॥
I. ASB. चेहेदि । Hereafter a Ms. from Delhi ( = D) is being used in addition, 2 D बहुदुमि; 3 ABS चेट्ठति ; 4D मा दुवई |

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