Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोयपत्ती
देसविरदादि उवरिमदसगुणठाणाणि हेदुभूदाओ | जाउ उवसोधियाउ कइया विण ताउ जायंति ॥ २७६ ॥ पजन्तापज्जन्ता जीवसमासा य होंति पदाणं । पज्जन्ती कुभेया तेन्तियमेत्ता अपजन्ती ॥२७७॥ पंच वि इंदियपाणा मणवचिकायाणि उपारणा य । भणाप्पाणप्पाणा दस पाणा होंति चउ सराणा ॥ २७८ ॥ गिरयगदीप सहिदा पंचक्खा तह य होंति तसकाया । चउमणवचदुवेगुव्वियकम्मइयसरीरजोगजुदा ॥२७९ ॥ अन्होंति पुंसयवेदा णारयजीवा य दव्वभावेहिं । सयलकसायासन्ता संजुत्ता णाणछक्केण ॥२८०॥ सव्वेणारा खुविविहेहि असंजमेहिं परिपुरणा । चक्खुचचक्खूओहीदंसणतिदपण जुत्ता य ॥ २८९ ॥ भावेसुं तियलेस्सा ताओ किरा य णीलकाओदा । वेणुक्कडक भव्वाभव्वा य ते सव्वे ॥ २८२॥ छस्सम्मता ताई उवसमखइयाइवेद्गंमिच्छो । सासगिमिस्सा य तहा संणी प्रहारिणो णाहारा ॥ २८३॥ सायारअणायारा उवयोगा दोंणि होंति तेसि च । तिच्चकसारण जुदा तिव्वोदयअप्पसत्तपयडिजुदा ॥ २८४ ॥ । गुणठाणादि सम्मन्ता ।
पढमधरंतमसराणी पढमंबिदियासु सरिसओ जादी । पढमादीतदियंतं पक्खिभुयंगादि यायए तुरिमं ॥ २८५॥ पंचमखिदिपरियंतं सिंहो इत्थी वि छखिदितं । आसत्तमभूवलयं मच्छो मरणुवो य वच्चति ॥ २८६ ॥ दट्ठसगछक्कपणचउतियदुगवारो य सतपुढवीसु । कमसो उप्पज्जंते प्रसणिपमुहांइ उक्कस्से ॥२८७॥
॥ उप्पराण माणजीवाणं वगणणा सम्मन्ता ॥ मुहतसित दिशा एक्कपक्ख मासं च । दोचउकुम्मासाई पढमादो जम्ममरण अंतरयं ॥ २८९॥ मु २४ दि ७ दि १५ मा १ मा २
मा. ४ मा ६ ॥

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