Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
View full book text
________________
तिलोयपरमत्ती
चमरिंदो सोहम्मे ईसदि वइरोयणो य ईसाणे। ईसाणंदे वेणु धरणाणंदम्मि वेणुदारि' ति ॥१४॥ एदे अट्ट सुरिंदा अण्णोण्णं बहुविहाउ भूदीउ । दट्टणं मच्छरेण ईसंति सहावदो केई ॥१४२॥
। इदं विभवो समत्ता।..... संखातीदो सेढी भावणदेवाण दसविकप्पाणं । तीए पमाणसेढीबिंदगुणगारपढममूलहदो ॥१४३॥
।संखा समत्ता। रयणाकरेक्कउवमा चमरदुगे होदि आउपरिमाणं । तिषिण पलिदोवमाणिं भूदाणंदादिजुगलम्मि ॥१४४॥ वेणुदुमे पंचदलं पुण्णवसिह सु दोगिण पल्लाई। जलपहुदिसेसयाणं दिवड्डपल्लं तु पत्तक्क ॥१४५॥
सा १ ५ ३ ५ ५ । प २ प ३ । से १२ ।
प्रहवा उत्तरइंदेसु पुव्वं भणिदं हुवेदि अदिरितं। . पडिइंदादिचउण्णं आउपमाणाणि इंदसमं ॥१४६॥ एकपलिदोवमाऊ सरीररक्खाण होदि चमरस्स। वहरोयणस्स अधियं भूदाणंदस्स कोडिपुव्वाणि ॥१४॥
प १ । प १ । पु को १ । धरणिंदे अधियाणिं बच्छरकोडी हुवेदि वेणुस्स। तणुरक्खाउवमाणं अदिरित्तो वेणुधारिस्स ॥१४८।।
पु को १ । व को १ । पत्तेक्कमेक्कलक्खं वासा आऊ सरीररक्खाणं । सेसम्मि दक्खिणिदे उत्तरइंदम्मि अदिरित्ता ॥१४९॥
१००००० । १००००० । भडाइजा दोषिण य पल्लाणि दिवड्डआउपरिमाणं ।
भादिममज्झिमबाहिरतिष्परिससुराण चमरस्स ॥१५॥ ! A B वइरीयईणो; 2 वेणुधारि (?); 3 इंद (?); 4 सम्मत्तो।।

Page Navigation
1 ... 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124