Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 51
________________ ४८ तिलोय पण्णत्ती छव्वीसं लक्खाणि छासट्ठिसहस्सछसयछासट्ठि । दोरिण कला तिविहत्ता जिन्भगणामस्स वित्थारो ॥१२९ ॥ २६६६६६६ । २ । पणुवीसं लक्खाणि जोयणया पंचसत्तरिसहस्सा । लोलिंदयस्स रुदो बिदियाए होदि पुढवीए ॥१३०॥ २५७५००० । चउवीसं लक्खाणिं तेसीदिसहस्सतिसयतेतीसा । एक्ककला तिविहप्ता लोलगणामस्स वित्थारो ॥१३१॥ २४८३३३३ । १ । तेवीसं लक्खाणि इगिणउदिसह स्स्सयछासट्ठी । दोरि कला तियभजिदा रुंदा थणलोलगे होंति ॥ १३२ ॥ २३६१६६ । २ । ३ तेवीसं लक्खाणि जोयण संखाय तदियपुढवीए । पढमिंदयम्मि वासो णादव्वो तप्तणामस्स ॥१३३॥ २३००००० । बावीसं लक्खाणि अट्टसहस्साणि तिसयतेत्तीसं । पक्ककला तिविहन्ता पुढवीए तसिदवित्थारो ॥१३४॥ २२८३३३ | १ । ३ सोलसहस्सस्सयछा सट्ठी एकवीसलक्खाणि । दोणि कला तदियाएं' पुढवीए तवणवित्थारो ॥१३५॥ २११६६६६ । २ । ३ पणवीससहस्सादियविंसदिलक्खाणि जेोयणाणि पि । तदिए विय खोणी तावणणामस्स वित्थारो ॥१३६॥ २०२५००० । IS तदिवाब |

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