Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
View full book text
________________
तिलोयपएणत्तो
बंबय बगमोअसारग्गपहुदीणि विविहवण्णाणि । .. जा' होति ति एत्तेणं चित्तेत्ति य वरिणदा एसो॥१४॥ एदावं बहलतं एक्कसहस्सं हवंति जोयणया । तीए हेढा कमसो चोइस रण्णाय खिदमही ॥१५॥ तण्णामा वेरुलियं लोहिययंकं असारगल्लं च।। गोमजयं पवाल जोदिरसं+ अंजणं णाम ॥१६॥ अंजणमूलं अंकं फलिह चंदणं च पश्चगयं । बहुला सेलं इय एदाई पत्तेक इगिसहस्सबहलाई॥१७॥ ताण खिदीणं हेहा पासाणं णाम रयणसोलसम | जोयणासहस्सबहलं वेत्तासणसण्णिहो संठाउ ॥१८॥ पंकाजिरो दिसदि एवं पंकबहुलभागो वि । अप्पबहुलो विभागं सलिलसरूवस्सवो होदि (१) ॥१९॥ एवं बहुविहरयणंपयारभरिदो विराजदे जम्हा । रयणप्पहो ति' तम्हा भणिदा णिउणेहिं गुणणामा ॥३०॥ सकरवालुवर्षका धूमतमा तमतमं च समचरियं । जेतं (१) अवसेसाओ छप्पुढवीउ गुणणामा ॥२१॥ बत्तीसट्ठावीसं चउवीसं वीस सोलसह च । हेडिमछप्पुढवीणं बहलत्तं जोयणं सहस्सा ॥२२॥ ३२०००। २८००० । २४०००।२०००० । १६०००। ८००० विगुणियछश्चउसट्ठीसद्विदुविसटिभट्टचउवण्णा । बहलत्तणं सहस्सा हेहिमपोढवीयछण्णं पि ॥२३॥ १३२००० । १२८००० । १२०००० । ११८०००। .
११६००० । १०८०००। पाठान्तरम् सत्त चिय भूमीउ णवदिसभाएण घणोवही विलग्गा | अट्ठमभूमी वसदिसभागेसु घणोवहि छिवदि ॥२४॥ पुव्वावरदिन्भाए वेत्तासणसंणिहाउ संठाओ।
उत्तरदक्खिणदीहा अणादिणिहणा य पुढवीओ ॥२५॥ IS वववग; 2 A B जा होति तिए तेण; 3 मसारगल्लं (१), 4S जोदिस्स; 5वस्थगर्व (१) 6 सेजसमं (१); 7 रवणप्पह त्ति (?); 8 5 विलया; 95 वणोवहिं।

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124