Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 11
________________ तिलोयपण्णत्ती । पदासि भासाणं तालुवदंतोट्टकंठवावारं । परिहरिय एक्ककालं भव्वजणाणंदकरभासो ॥६२॥ भावणवेतरजोइसियकप्पवासेहि. केसवबलेहिं । विजाहरेहिं चक्किप्पमुहेहिं णरेहिं तिरिएहि ॥३३॥ एदेहि अण्णेहिं विरचिदचरणारविंदजुगपूजो । दिवसयलहसारो महवीरो अत्थकत्तारो॥६॥ सुरखेयरमणहरणे गुणणामे पंचसेलणयरम्म । बिउलम्मि पवदवरे वीरजिणो अट्टकत्तारो॥६॥ चउरस्सो,पुगए सिरिसेलो दाहिणाए वेभारो। इरिदिदिसाए विउलो दोगिण तिकोणहिदायारा ॥६६॥ चावसरिच्छो' छिण्णो वरुणाणिलसोमदिसविभागेसु । ईसाणाए पंडुरणादो' सव्वे कुसगपरियरणा ॥७॥ एत्थावसप्पिणीए चउत्थकालस्स चरिमभागम्मि । तेत्तीसवासअडमासपगणरसदिवससेसम्हि ॥६॥ वासस्स पढममासे सावणणामम्मि बहुलपडिवाए । अभिजीणक्खत्तम्मि य उप्पत्ती धम्मतित्थस्स ॥६॥ सावणबहुले पाडिव सुद्दमुहुत्ते सुहोदए रविणे। अभिजस्स पढमजोए जुगस्स आदी इमस्स पुढं ॥७०॥ णाणावरणप्पहुदिअणिच्छयववहारपायअतिसयए (१ । संजादेण अणतंणणेणं दसणसुहेहिं ॥१॥ विरिएण तहा खाइयसम्मत्तेणं पि दाणलाहेहिं । भोगोपभोगणिच्छयववहारेहिं च परपुण्णे ॥१२॥ दसणमोहे णढे घादित्तिदए चरित्तमेाहम्मि। सम्मत्तणाणदसणवीरियचरियाइ होंति खइयाइं ॥७३॥ जादे अणतणाणे ण? 'चदुहिदिदम्मि णाणम्मि। णवविहपदत्थसारा दिव्यज्झुणी कहइ सुत्तत्थं ॥७४॥ अण्णेहि अणतेहिं गुणेहिं जुत्तो विसुद्धचारित्तो। भवभयभंजणदच्छो महवीरो अत्थकत्तारो॥७॥ _I A सरिस्सो; 2 AB पंडूवरण; 3 5 रुद्द, 4 AB सुहोदिए; 5 s अणते; 7 परिपुषणो(?), 8 अदुमष्टिदियम्मि(१);

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