Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 36
________________ तिलोयपण्णत्तो छट्टमपुढवीए पंचसत्तमागूण छरज्जुविक्खंभा सत्तरज्जुायदा सोलसजोयणसहस्सबाहल्ला बाणउदिसहस्साहिय पंचगह लक्खाणमेगूणवंचासभागबाहल्लं जगपदरं होदि ॥३१०॥ -५९२००० सत्तमपुढवीए छसत्तमभागूणसत्तरज्जुविक्खंभा सत्तरज्जुआयदा अट्ठजोयणसहस्सबाहल्ला चउदालसहस्साहिय तिण्णं लक्खाणमेगूणपंचासभागबाहल्लं जगपदरं होदि ॥३११॥ – ३ ४ ४००० ४९ अहमपुढवीए सत्तरज्जुायदा एक्करज्जुरुंदा अट्ठजोयणबाहला सत्तमभागाहियेयज्जोयणवाहल्लं जगपदरं होदि ॥३१२॥1 पदाणि सव्वमेलिदे एत्तियं होदि । =४३६४०५६ ४९ एदेहिं दोहिं खेत्ताणं विंदफलं संमेलिय सयललोयंमि अवणिदे' अवसेसं सुद्धायासपमाणं होदि तस्स ठषणा केवलणाणतिणेतं चात्तीसादिसयभूदिसंपणं । णाभेयजिणं तिहुवणणमंसणिज्ज णमंसामि ॥ [३१३]॥ एवमाइरियपरम्परागयतिलोयपण्णत्तीए सामण्णजगसरूवणिरूपणपएणत्ती णाम पढमो महाधियारो सम्मत्तो ॥१॥ 1 Confusion of Nos. in all the Mss. 2 अवणीदे (१)

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