Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 73
________________ तिलोयपण्णत्ती कथुरिकरकचसूजीए इरंगारादिविविहभंगीहिं । अण्णेण जादणाओ :कुणंति णिरएसु णारइया ॥३४४॥ अइतितकडुवकत्थरिसंतीदोवमंथियं अणंतगुणं । घम्माए णारइया थोवं ति चिरेण भुंजंति ॥३४५॥ अजगजमहिसतुरंगमखरोहमजारतुरगपहुदीणं । कुथिताणं गंधादो अणंतगंधो हुवेदि आहारो॥३४६॥ अदिकुणिममसुहमण्णं रयणप्पहपहुदि जाव चरिमखिदि । संखातीदगुणेणं दुगुच्छणिजो हु आहारो ॥३४७॥ घम्माए आहारो कोसस्सभंतरम्मि ठिदजीवे । इहमातहिं गंधेणं सेसे कोसद्धड्डिया' संति ॥३४८॥ पुवंबंधसुराऊ' अणंतअणुबंधिअण्णदरउदया। णासियतिरयणभावा णरतिरिया केइ असुरसुरा ॥३४९॥ सिकदाणणासिपत्ता महबलकालायसामसवलं हि। रुह परिसा विलसिदणामो महरु दखरणामा ॥३५०॥ कालग्गिरुंदणामा कुंभी वेतरणिपहुदिअसुरसुरा। गंतूण वालुकतं णारइयाणप्पको पंति ॥३५१॥ इह खेत्ते जह मणुवा पेच्छंते समहिसजुद्धादि । तह णिरये असुरसुरा णारयकलहं पतुट्ठमणा ॥३५२॥ एक्कतीसगद ससत्तरस तह य बावीसं होंति तेत्तीसं। जह अरडवुमा पावंते ताव महा य बहुदुक्खं ॥३५३॥ णिरएसु णत्थि सोक्खं अणुमिसमेत्तं पि णारयाण सदा । दुक्खाई दारुणाई वट्टते पञ्चमाणाणं ॥३५४॥ कदलीघादेण विणा णारयगत्ताणि आउअवसाणे । मारूदपहदभाइ व णिस्सेसाणिं विलीयते ॥३५५।। एवं बहुविहदुक्खं जवा पावंति पुवकददोसा। तद्दुक्खस्स सरूवं को सक्कर वरिणद् सयलं ॥३५६॥ सम्मत्तरयणपन्वदसिहरादो मिच्छभावखिदिपडिदो। णिरयादिसु अइदुक्खं पाविय पविसइ णिगोदम्मि* ॥३५७॥ I. वढ़िवा; 2. बद्ध (१); 3. णाईयाण ; 4. Readings corrupt in ABT ...

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