Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 27
________________ २४ तिलोय पण्णत्तो पराणरसहदा रज्जू छप्पराणहिदा तदा ण वित्थारो । पत्तेक्क' तक्करणे खंडिदखेत्तेण चूलिया सिद्धा ॥२२२॥ ३६२ पणदालहदा रज्जू छप्पण्णहिदा हवादि' भूवासो । उदउदिवरज्जू भूतिभागेण मुहवासो ॥२२३॥ भूमीप मुहसोही उदयहिदे भूमुहादु हाणिचया । छक्केककुमुहरज्जू उस्सेहा दु गुणसेढीए ॥ २२४ ॥ तक्खयत्रडिविमार्ण चोदसभजिदाई पंचरूवाणि । यियिउदर पहदं प्रोज्जयत्तस्स तस्स खिदिवासं ॥ २२५ ॥ मेरुसरिच्छमि जगे सप्तट्ठाणेसु ठविय उड्दुड्ड । रज्जूउ रुदे दो वाच्छं गुणयारहाराणि ॥ २२ ॥ सम्भहियसयं सोलसरकारसादिरित्तसया । इगिवीसे विविता तिसु-ट्ठाणेसु हवंति हेादेा ॥ २२७॥ १४७ १५ 1 | ६ | | | २६ - ११६ - १११ ६४७ एकोणचउसयाई दुसयाच उदालदुसयमैक्कोणं । चसीदी चउट्टा होदि हु चउसीदि पत्रिहन्ता ॥ २२८ ॥ ३६६ ५८ २४४ ५८८ मंदरसरिसम्म जगे सप्तसु ठाणेसु ठविय रज्जुघणं । द्वादु घणफलंस य' वाच्छं गुणगारहाराणि ॥२२६॥ चउसीदिवउयाणं सत्तावीसाधिया य दारिण सया । एकोणचउसया' वीससहस्सा विहीणसगसट्ठी ॥ २३० ॥ पक्कोणदाण्णिसया. पणसहिसयाई रावजुदागं पि । पंचतलं पदे गुणगारा सप्तठाणेसु ॥२३१॥ श्रद्ध बारसवग्गे रावणवद्वय सयं च चउदालं । पदे कमसो हारा सहेसु ठाणेसु ॥ २३२॥ = ૪૮૪ = २२७ = ३६६ ३४३ १६ ३४३ ६ ३४३ १५ ( 3 ) 1 हद (3) ; 2 धण फलस्स १४७ - | १ | ४ | ८४ ཕྱུའང :ངང

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