Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोय पण्णत्तो
पराणरसहदा रज्जू छप्पराणहिदा तदा ण वित्थारो । पत्तेक्क' तक्करणे खंडिदखेत्तेण चूलिया सिद्धा ॥२२२॥
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पणदालहदा रज्जू छप्पण्णहिदा हवादि' भूवासो । उदउदिवरज्जू भूतिभागेण मुहवासो ॥२२३॥ भूमीप मुहसोही उदयहिदे भूमुहादु हाणिचया । छक्केककुमुहरज्जू उस्सेहा दु गुणसेढीए ॥ २२४ ॥ तक्खयत्रडिविमार्ण चोदसभजिदाई पंचरूवाणि । यियिउदर पहदं प्रोज्जयत्तस्स तस्स खिदिवासं ॥ २२५ ॥ मेरुसरिच्छमि जगे सप्तट्ठाणेसु ठविय उड्दुड्ड । रज्जूउ रुदे दो वाच्छं गुणयारहाराणि ॥ २२ ॥ सम्भहियसयं सोलसरकारसादिरित्तसया । इगिवीसे विविता तिसु-ट्ठाणेसु हवंति हेादेा ॥ २२७॥
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एकोणचउसयाई दुसयाच उदालदुसयमैक्कोणं ।
चसीदी चउट्टा होदि हु चउसीदि पत्रिहन्ता ॥ २२८ ॥
३६६ ५८
२४४ ५८८
मंदरसरिसम्म जगे सप्तसु ठाणेसु ठविय रज्जुघणं । द्वादु घणफलंस य' वाच्छं गुणगारहाराणि ॥२२६॥ चउसीदिवउयाणं सत्तावीसाधिया य दारिण सया । एकोणचउसया' वीससहस्सा विहीणसगसट्ठी ॥ २३० ॥ पक्कोणदाण्णिसया. पणसहिसयाई रावजुदागं पि । पंचतलं पदे गुणगारा सप्तठाणेसु ॥२३१॥ श्रद्ध बारसवग्गे रावणवद्वय सयं च चउदालं ।
पदे कमसो हारा सहेसु ठाणेसु ॥ २३२॥ = ૪૮૪ = २२७ = ३६६ ३४३ १६ ३४३ ६ ३४३ १५
( 3 ) 1
हद (3) ; 2 धण फलस्स
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