Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोयपरायणत्तो
ववहारपल्ल
ववहाररोमरासिं पत्तेक्कमसंखकोडिवस्साणं । 1: समयस तू बिदिय पल्लहि भरिदम्हि ॥ १२६॥ समयं पडि एक्केक्कं' वालग्गं पेलिदम्हि सो पल्लो रिश्तो हादि स काले उद्धारं ग्राम पल्लं तु ॥१२७॥
उद्धारपलं
पदे पल्लेणं दोवसमुद्दाण होदि परिमाणं । उद्धाररोमरासिं 'तूमसंखवाससमयसमं ॥ १२८॥ पुवं व विरविदेयां तदियं द्वारपल्लणिप्पत्ती । गारयतिरियणरसुराण वि या कम्महिदी तहि ॥ १२६ ॥ श्रद्धापल्लं । एवं पल्ल समत्तं ।
पदाणं पल्लायां दहप्पमाणाउ कोडिकोडीभो । सागर उवमस्स पुढं एक्कस्स हवेज परिमाग्रां ॥ १३०॥
सागरोपमं समत्तं
तस्सासंखेयभागमेत्ते य।
अद्धारपल्लवेदो पल्लुघणं गुल' वग्गिदसंवग्गिदर्याम्ह सूइजगसेढी ॥१३१॥
.२
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जगतं वग्गे पदरंगुलपदराइघणे 'घरांगुलं लोगेा । जगदीप सप्तमभागो रज्जू पभासते ॥ १३२ ॥
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एवं परिभासा गढ़ा 4
दिणदणेण हीणों पगदिसरूवेण एस संजादो । जीवाजीव समिद्धो सव्वणहावलोयवो" लोड ॥ १३३ ॥ धमाधम्मणिबद्धा गदिरागदि जीवपोग्गलाणं च । जेन्तियमेत्ताभासो लोयाभासो स पादव्व ॥ १३४॥
I AB पडियक् 2 S णारयतिरियणरामं सुराग कम्मट्ठिदी तम्हि ! 4 S गर्द ; 5 5 सव्वग्रह्नावअवओ, सव्वण्हावलोइओ (2) ; 6 गदिरगढ़ी (१) ।
१३
₹ 3S पांगुळ ;

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