Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोयपरणत्ती
कोसदुगमेककोसं किंचूणेकं च लोयसिहरम्मि। ऊणपमाणं दंडा चउस्सया पंचवीसजुदा ॥२७॥
को २ को १ दंड १५७५ तिरियखेत्तपणिधिं गहस्स पवणत्तयस्स पहनत। मेलिय सहमपोढवीपणिधिगमरुदयबहलम्मि ॥२७॥ तं सोषिदूण तत्तो भजिव्वं छिप्पमाणरज्जूहि । लख पडिप्पदेसं जायते हाणिवड्डीउ ॥२६॥
१२।४।६। मछवागदेयं तालं तालं तालद्वतीसछत्तीसं। तियमजिदा हेहादो मरुबहलं(?) सयलपासेसु ॥२७॥
४ ४६/४४|४२|४० |३०|३६ |
उड्गे खलु बड्डी इगिसेढीभजिदअट्ठजोयणया। एवं इत्थप्पहट सोहिय मेलिज भूमिमुहे ॥२७॥ मेरुतलादो उवरि कप्पाणं सिद्धखेत्तपणिधीए । चउसीदी छण्णउदी अडजुदसय(वार)बारसुत्तरंचसयं ॥२७॥ एतो चउचउहीणं सत्ता ठाणेसु ठविय पत्तक । सत्तविहरते होदि हु मारुदवलयाण बहलतं ॥२८॥
5/8/१७८/१२९०८ २०७।२७०//९/5/0/
तीसंडगिदालदलं कोसा तियभाजिदा य उणवण्णा । सत्तमखिदिपणिधीए बम्हजुगे वाउबहलत्तं ॥२८॥
२
३
पाठांतरं दोच्छवारसभागम्भहिड कोसो कमेण वाउघणं । लोयउपरिम्मि एवं लोयविभायम्मि पगणतं ॥२८॥
त्वं पादं ()।

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