Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 47
________________ तिलोयपएणत्तो तेसीदिलक्खाणिं णउदिसहस्साणि तिसयसगदालं । छप्पुढवीणां मिलिदा सन्वे वि पइण्णया होति ॥६५॥ ८३६०३४७ संखेजमिदयाणं रुदं सेढी गदाण जोयणया । तं होदि यसंखेज्जं पडण्णयाणुभयमस्स एवं ॥६॥ ६।२७।७। संखेजा वित्थारा णिरयाणं पंचमस्स परिमाणं । सेस चउपंचभागा होंति असंखेजरदोई॥९॥ ८४०००००।१६८०००। ६७२०००। छपंचतिदुगलक्खा सहिसहस्साणि तह य एक्कोणा। वीससहस्सा एक्कट्ठय' णेदि सुसंखवित्थारा ॥९८॥ ६०००००। ५०००००।३००००० । २००००० । ६०००० । १९९६६ । १ । चउवीसबीसबारसअट्ठपमाणाणि होति लक्खाणि । सयकदिहदचउवीसं सीदिसहस्सा य चउहीण ॥६६॥ २४००००० । २०००००० । १२००००० । ८००००० । २४०००० । ७६६६६ । चत्तारि रविय पदे होंति असंखेजजोयणा रुदा । रयणप्पहपहुदीए कमेण सव्वाण पुढवीणं ॥१०॥ संखेजरुदसंजुदणिरयबिलाणं जहण्णविच्चालं । छक्कोसा तेरिच्छे उक्कस्से दुगुणिदो तेपि (१)॥१०॥ ६।१२। णिरयबिलाणं होदि हु असंखरुंदाण अवरविच्चालं । जोयण सत्तसहस्सा उक्कस्से तं असंखेज ॥१०२॥ ७०००। उत्तपदण्णयमज्झे होति हु बहुवो असंखवित्थारो। संखेजवासजुत्ता थोवा होएति (१) तिमिरजुत्ता ॥२०॥ I AB एक्कंट्टय; 2 AB सादिसहस्सा ।

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