Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलायपपणत्ती
२५
पंचुतं एकसयं सत्ताणउदी तियधियणउदी। चउसीदी तेवण्णा चउदालं एकवीसगुणगारा ॥२६॥ उड्दुड्डरसुघणं सतलु ठाणेसु ठविय हेट्ठादो । विदफलजाणण? वोच्छं गुणगारहाराणि ॥२६॥ दुखुदाणिं दुसयाण पंचाणउदी य एकवीसं च। सत्तत्तालसुदाणिं बादालसयाणि एकरसं ॥२६॥ पणणवदियधियचउदससयाणि णवर य हवंति गुणगारा। हारा णउणवएक्कबाहत्तरि इगिविहप्तरी चउरो ॥२६॥ चोदसभजिदो तिउणो विदफलं माहिरोभयभुजाणं । लोश्रो दुगुणो चोद्दसहिदो य अभंतरम्मि दूसस्स' ॥२६॥ तस्स य जवखेत्ताणं लोश्रो चोदसहिदो दु विंदफलं। एत्तो गिरिविडखंडं वोच्छानो आणुपुबीए ॥२६६॥ छप्पराणहिदो लोबो एक्कस्सि गिरगडम्नि विफलं। तं चउकीसं पहई सत्तहिदो तिगुणिदो लोगो ॥२६॥ अट्ठविहापं साहिय सामाणं हेट्टउड्ड होदि जयं। एगिह साहेमि पुढं संठाणं वादवलयाणं ॥२६८॥ गोमुत्तमग्ग (प्र१)वण्णा घणोदधि तह घणाणिलो वोऊ। तणुवादो बहुवराणो रुक्खस्स तयं व वलयतियं ॥२६॥ पढमो लोयाधारो घणोवही इह घणाणिलो तस्तो। तप्परदो तणुवादो अंतम्मि णहं णिआधारं ॥२७॥ जायणवीससहस्साबहलं तम्मारुदाण पत्तेफ्कं। अट्ठ खिदीणं हेतु लोअतले उवार जाव इगि रज्जू ॥२७॥
२०००० । २०००। २००० सगपणचउजोयणयं सत्तमसारयम्मि पुहविपणधीए। पंचचउतियपमाणं तिरीयखेत्तस्स पणिधीए ॥२७२॥
७।५।४।५।४।३। । सगपंचचउसमारणा पणिधीए होंति बम्हकप्पस्त पणचउतियजोयणया उवरिमलोयस्स यंतम्मि ॥२७३॥
७।५।४।५।४।३। IS दूसस्सव।

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