Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
View full book text
________________
तिलोयपएणतो
णवणउदीजुदणवसयदुसहस्सा जोयणाणि वंसाए। तिरिणसयदंडयाणं उड्डण पदण्णयाण विच्चालं ॥१९॥
२९९९ दंड ३००। भडतालं! दुसयतिसहस्सा जोयणाण मेघाए । पणवण्णसयाणि धण उड्डेण पदण्णयाण विच्चालं ॥१९२॥
३२४८ दंड ५५०० -उसहि छस्सयाणिं तिसहस्सा जोयणाणि तुरिमाए । उणहत्तरीसहस्सा पणसयदंडा य णवभजिदा ॥१९॥
३६६४ दंड ६९५००
सत्ताणवदी जोयणचउदालसयाणि पंचमखिदीए । चसयजुदछसहस्सा दंडेण पइण्णयाण विच्चालं ॥१९४॥
४४९७ दंड ६५००। सहाणे विच्चालं एवं जाणिज्ज तह परहाणे । जं इंदयपरठाणे भणिदं तं पच्छ वत्तव्वं ॥१९५॥
एवं पइण्णयाणं विच्चालं सम्मत्तं ॥
॥ एवं णिवासखेत सम्मत्तं ॥ घम्माए णारया संखठिदाउ होति एदाणं । सेढीए गुणगारा विहंगुलबिदियमूलकिंचूर्ण ॥१९६॥
१२ वंसाए णारया सेढीए असंखभागमेत्ता वि | सो रासी सेढीए बारसमूलावहिदा सेढी ॥१९॥
।१२। मेघाए -णारया सेटीए असंखभागमेत्ता वि । सेढीए दसममूलेणं भाजिदो होदि सो सेढी ॥१९८॥
I. Sअटतालं । 2. AB यस्य; 3. खेत्तं (१)।

Page Navigation
1 ... 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124