Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोयपएणत्ती
अथवा अढतालं दलिदं गुणिदं अट्ठोहि पंचरूवजुदं । उणवण्णाए पहदं सव्वघणं होइ पुढवीणं ॥७१॥ इंदयसेढीबद्धा णवयसहस्साणि छस्सयाणं पि। तेवगणं अघियाइ सव्वासु वि होति खोणीसु ॥७२॥
९६५३ णियणियचरिमिदपयमेक्काणं होदि आदिपरिमाणं । णियणियपदरा गच्छा पचया सव्वत्थ अलद्धव ॥७३॥ बाणउदिजुत्तदुसया दुसयं चउ सयजुदाण बत्तीसं । छावत्तरि छत्तीसं बारस रयणप्पहादि आदीउ ॥४॥
२९२ । २०४ । १३२ । ७६ । ३६ । १२ । तेरसएक्कारसणवंसगपंचतियाणि होति गच्छाणि । सव्वत्थुत्तरमह सेदिघणे सव्यपुढवीणं ॥५॥ पदवगं' चयपहिदं दुगुणिदगच्छेण गुणिदमुवजुतं । चट्टि हदपदविहीणं दलिदं जाणिज संकलिदं ॥६॥ चयपदमित्थूणपदं
१३३ । ८। रूउणिच्छाए गुणिदचयं
दुगुणिदेवादिसुगमं चत्तारि सहस्साणि य चउस्सया वीस होंति पढमाए । सेढिगदा बिदियाए दुसहस्सा छसयाण चुलसीदी ॥७७॥
४४२० । २६८४ । चोइसया छाहत्तरि तदियाए तह य सत्त सया । तुरिमाए सहिदं दुसताणिं पंचमिए होदि णायव्वं ॥७॥
१४७६ । ७०० । २६०। Is पदवणे ; 25 वहि, छट्टि ?

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