Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana
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तिलोयपएणत्तो
प्रादेसमुत्तमुत्तो धातुचउक्कस्स कारणं जादा । सोणेश्रो परमाणु परिणामगुणेहिं वंदस्स ॥१०॥ परमाणुहि अणंताणतेहिं बहुविहेहि दव्वेहिं । उवसरणासगणो त्ति य सो खंदो हेादि णामेण ॥१०२॥ उवसण्णासगणो वि य गुणिदो अहहि होदि णामेण । सण्णासगणो त्ति तदो दु+ इदि खंदो पमाणहूँ ॥१०३॥ अट्ठ गुणिदेहि सण्णासरणेहिं हादि तुडिरेणु । तित्तियमेत्तहदेहिं तुडिरेणूहि पि तसरेणू ॥१०॥ तसरेणु रथरेणु उत्तमभोगावणीए वालगं । मज्झिमभोगखिदीए वालं पि जहण्णभेोगखिदिवालं ॥१०॥ कम्ममहीए वालं लिक्खं जूवं जवं च अंगुलयं । इदि' उत्तरा य भणिदा पुग्वेहिं अद्वगुणिदेहिं ॥१०६।। तिवियप्पमंगुलं तं उच्छेहपमाणअप्पगुलयं । परिभासाणिप्पगणं हादि हु उदिसेहसूचिगुलयं ॥१०॥ तं चिय पंचसयाई अवप्पिणिपढमभरहचकिस्स। अंगुल एकं चेव य तं तु पमाणंगुलं णाम ॥१०८॥ जस्सि जस्सि काले भरहेरावदमहीसु जे मणुवा। तस्सि तस्ति ताणं अंगुलमादंगुलं णाम ॥१०॥ उस्सेहअंगुलो णं सुराण णरतिरियणारयाणं च । उस्सेहंगुलमाणं चउदेवणिकेदणयराणिं ॥११०॥ दोवोदहिसेलाणं वेदीण णदोण 1 कुंडजगदीणं ।
साणं च पमाणां होदि पमाणंगुलेणेव ॥११॥ भिंगारकलसदप्पणवेणुपडहजुगाण सयणसगदाणं ।। हलमुसलसत्तितोमरसिंहासणवाणणालिअक्खाणं ॥११२॥ चामरदुंदुहिपीढंछत्ताणं --णरणिवासणगराणं ।। उजाणपहुदियाणं संखा आदंगुलं णेया ॥११३॥ छहिं अंगुलेहि वादा11 बेवादेहि विहत्थिणामा य ।
दागिण विहत्थी हत्थो बेहत्थेहिं हवे रिक्कू ॥११४॥ Is जादू; 2 sणेऊ; 3 A अट्ठदि, S अट्ठदि; Aor दुदिइक्खंदो (?); 5 Sवालम्मि; 6A खिदी; 7 AS इगि ; 8 AS महीस ; 9 AB णिकेंदणणयराणि ; To S कुड, or कुहु (१) II = पादः ।

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