Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

View full book text
Previous | Next

Page 114
________________ तिलोयपएणत्तो चुल्लहिमवंतरु दे णइरुधस्सोधिदूण' अद्धकदी । दक्षिणभागे पव्वदउरिम्मि हवेदि णइदोहं ॥२११॥ पंचसयातेवीसं अट्ठहिदा ऊणतीसभागा या । दक्खिणदो आर्गाच्छय गंगागिरिजिभियं पत्ता ॥२१२॥ ५२३ । २९ । १९ हिमवंतयंतमणिमयवरकूडमुहम्मि वसहरूवमि । पविसिय णिवलइ दारा दसजोयणवित्थराय ससिधवला ॥२१३॥ वजोयणेक्ककोसा पणालियाए हुवेदि विक्खंभा । आयामा बेकोसा 'तेत्तियमेत्तं च बहलप्तं ॥२१४॥ ६ को १ को २ को २॥ सिंगमुहकरणजिहालोयणभूदाश्रोएहिगासरिसो। वसहो ति तेण भगणइ रयणामरजीहिया तत्थ ॥२१५॥ पणुवीस जोयणाणि हिमवंते तत्थ अंतरेदूणा । वसजोवणवित्थारे गंगाकूडम्मि णिवसदे गंगा ॥२१॥ पणुवीसजोयणाई दारापमुहमि होदि विक्खंभा। सव्वाणिकत्ताण य एवं णियमा परूवेदि ॥२१७॥ २५। पाठान्तरम्जोयणसट्ठीरुदं समवट्ट अत्थि तत्थ घरकुंडं । दसजोयणउच्छेदं मणिमयसोवाणसोहिल्लं ॥२१८॥ ६० । १०। बासहिजोयणाईदो कोसा होदि कुंडवित्थारो। संगोयणिकत्तारो एवं णियमा णिरूवेदि ॥२१९॥ ...... - ६२ । को २ । पाठान्तरम्चउतोरणवेदिजुदो सो कुंडो तत्थ होदि बहुमज्मे । दीवा रयणविचित्ता चउतोरणवेदिया हि कयसोहा ॥२२०॥ ___ I D स्साधिदूण ; 2 AB तत्तिव; 3 AB repeat this verse.

Loading...

Page Navigation
1 ... 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124