Book Title: Tiloy Pannatti
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Jaina Siddhanta Bhavana

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Page 25
________________ दिलोयपरणत्ती कापिट्ठउवरिमते रज्जूउ पंच होति सत्तहिदा। सुक्कस्स उवरिमंते सत्तहिदा तिगुणिदो रज्जू ॥२०६॥ ४६ ५।४६३। सहसारउवरिमंते सगहिदरज्जू य खुलभुजदं। पाणदउरिमचरिमे छ रज्जूउ हवंति सत्तहिदा ॥२०७॥ ४६ १।४६६। पणिधीसुभारअब्बुदकप्पाणं चरिमईदयधयाणं । खुल्लयभुजस्स रुदं चउरज्जूउ हवंति सत्तहिदा ॥२०८॥ ४६४। सोहम्मे दलजुत्ता पण रज्जूउ हवंति तिगिण बहि । तमिस्सपुब्बसेसं तेसि इदि अट्ठ पविहत्था ॥२०॥ ३४३ । २|३४३ । ८/३४३ । । बम्हुत्तरहेदू वरि रज्जुघणा तिणि होति पत्तेक्कं । लंतवकप्पम्मि दुगं रज्जुघणा सुक्ककप्पम्मि ॥२१०॥ ३४३ । ३४३ | ३४३ | ३४३ । अट्ठाणउदिविहतो लोओ सदस्स उभयविंदफलं । तस्स य बाहिरभागे रज्जुघणो अट्ठमा असे ॥२११॥ तम्मिस्ससुद्धसेसे हवेदि अभंतरम्मि पिंदफलं । सत्तावीसेहि हदं रज्जू घणमाणमट्टहियं ॥२१२५ = २७ रज्जुघणा ठाणदुगे भडाइज्जेहिं दोहि गुणदया। सम्बं मेलिय दुगुणिय तस्सि ठावेज जुत्तेण ॥२१॥ ३४३ २| ३४३ | ३४३ । एत्ता दलरज्जूणं, घणरज्जूड हवंति अडवीसं। एकोणवण्णगुणिदा मज्झिमखेप्तम्मि रज्मुघणा ॥२१॥ I AR तमिस्सु।

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