Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 12
________________ mmm उबवाई सूत्तं इयरयणियरविमलपडिपुरणसोमवयणासिंगारागारचारुवेसासंगयगयहसियभणियविहियविलाससललियसंलावणिउणजुत्तोवयारकुसला सुन्दरथणजघणवयणकरचरणनयणलावण्णविलासकलिया] पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, कोणिएणंरगणा-भंमसारपुत्तेणं सद्धिंअणुरत्ता अविरत्ता इठे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पचणुभवमाणी विहरह ॥ ___ (सू०८) तस्स णंकोणियस्स रगणो एक्के पुरिसे बिउलकयवित्तिए भगवरो पवित्तिवाउए भगवनो तद्देवसियं पवित्तिं णिवेदेइ । तस्स णं पुरिसस्स बहवे अण्णे पुरिसा दिएणभतिभत्तवेत्रणा भगवत्रो पवित्तिवाउया भगवत्रो तद्देवसियं पवित्तिं णिवेदेति ॥ __ (सू०६) तेणं कालेणं तेणं समएणं कोणिएराया भंभसारपुत्ते बाहिरियाए उवठ्ठाणसालाए अणेगगणणायगदंडणायगराईसरत लवरमाडंबियकोडुंबियमंतिमहामंतिगणगदोवारियअमच्चचेडपीढमद्दनगरनि-- गमसेठिसेणावइसत्यवाहदूयसंधिवालसद्धिं संपरिवुडे विदहरइ॥

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