Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 83
________________ उववाई सूत्तं सगडं वा एवं त चेव भाणियव्वं जाव णरणत्य एगाए गंगामट्टियाए । अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ अाहाकम्मिए वा उद्देसिए वा मीसजाए इ वा अज्झोयरए इ वा पूहकम्मे इ वा कीयगडे इ वा पामिच्चे इ वा अणिसिहे इ वा अभिहडे इ वा ठइत्तए वा रइत्तए वा कंतारभत्ते इवा दुन्भिक्खभत्ते इ वा पाहुणगभत्ते इ वा गिलाणभत्ते इ वा वदलियाभत्ते इ वा भोत्तए वा पाइत्तए वा, अम्म डस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ मूलभोयणे वा जाव बीयभोयणे वा भोत्तए वा पाइत्तए वा। अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउविहे अणट्ठादंडे पच्चक्खाए जावजीवाए। तं जहा:-अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवाएसे। __ अम्मडस्स कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए सेऽविय वहमाणए णो चेव णं अवहमाणए जाव सेऽविय परिपूए णो चेव णं अपरिपूए, सेविय सावजेत्तिकाऊ णो चेव णं अणवज्जे, सेऽविय जीवा इतिकटु णो चेव णं अजीवा सेऽविय दिपणे णो चेव णं अदिएणे सेऽविय दंतहत्थपायचरुचमसपक्खालणट्टयाए पिबि

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