Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 73
________________ उववाई सूत्तं ६९ णो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुष्फाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलतयपत्तपुष्कफलाहारा जलाभिसेयक ढिणगायभूया आयावणाहिं पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियं कण्डुसोल्लियं कठ्ठसोल्लियं पिव पाणं करेमाणा बहूई वासाईं परियागं पाउणति, २त्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं जोइसिएसुदेवेसु देवत्ताए उववन्तारो भवंति । पलियोवमं वाससयस हस्तमन्भहियं ठिई सेसं तं चेव ( - आराहगा ? - णो इणडे समट्टे ) ॥ १० ॥ से जे इमे जाव सन्निवेसेसु पञ्वइया समणा भवंति । तं जहा -- कंदपिया कुक्कुइया मोहरिया गीयरहप्पिया नच्चणसीला, ते णं एएणं विहारेणं विहरमाणा बहूइं वासाईं सामण्णपरियायं पाउणंति, २ त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकंता कालमासे कालं किच्चा उकोसेणं मोहम्मे कप्पे कंदप्पिएसु देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति । तेहिं तेसिं गई, सेसं तं चेव णवरं पलिश्रवमं वाससय सहस्समभहियं ठिई ।। ११ । से जे इमे जाव सन्निवेसेसु परिव्वाया भवंति । तं जहाई'खा- जोगी काविला भिउव्वा हंसा परमहंसा बहुउद्गा कुडिव्वया कण्हपरिव्वायया ।

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