Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 91
________________ उववाई सूत्तं अप्पा भावेमाणा बहुरं वासाई आउयं पार्लेति पालि न्ता भक्तं पच्चक्खंति बहूई भत्ताइं असणाए छेति छेइत्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उबवत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई, अट्ठारस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता पर लोगस्स आराहगा, सेसं तं चैव ॥ १६ ॥ ८७ से जे इमे गामागर जाव संनिवेसेसु आजीविया भवंति, तं जहा — दुघरंतरिया तिघरंतरिया सत्तघरंतरिया उप्पलबेंटिया घरसमुदालिया विज्जुयंतरिया उट्टियासमणा, ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहुरं वासाईं परियायं पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवति, तेहिं तेसिं गई बावीसं सागरोमाई ठिई, अणाराहगा, सेसं तं चैव ॥ १७ ॥ सेज्जे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु पव्वइया समणा भवंति तं जहा - अन्तुको - सिया परपरिवाइया भूइकम्मिया भुज्जो भुज्जो कोउयकारगा, ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाईं सामण्णपरियागं पाउणंति

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