Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 44
________________ बाई सूतं रिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरई । तं महष्फलं खलु भो देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं णामगोयस्स वि सवणयाए, किमंगपुण ४० अभिगमणवंदणणमंसणपडिपुच्छणपज्जुवा सणयाए ? एगस्स वि आयरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अत्थस्स गहणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो सकारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं [ विणएणं ] पज्जुवासामो एयं णे पेचभवे इहभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए श्रणुगामियत्ताए भविस्सइतिकहु बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता एवं दुपडोयारेणं राइणा [ ] खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता अणे य बहवे राई सरतलवर माडंबिय कोडुंबि इन्भसेट्ठि सेणावइसत्थवाहपतियो अप्पेगइया वंदणवत्तियं अप्पेग या पूयणवत्तियं एवं सक्कारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं को ऊहलवत्तियं अप्पेगइया अट्ठविणिच्छय हे अस्सुयाइं सुणेस्सामो सुयाइं निस्सं कियाइं करिस्सामो अप्पेगइया अट्ठाई होऊ कारणाई वागरणाई पुच्छिस्सामो अप्पेगइया

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