Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
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बाई सूतं
लंबिया लंबियगा घंसियगा घोलियगा फालिडयगा पीलियगा सूलाइयगा सूलभिरणगा खारवत्तिया वज्भवतिया सीहपुच्छियगा दवग्गिदड्ढगा पंकोसरणगा पंकेखुत्तगा वलयमयगा वसहमयगा णियाणमयगा अंतोसल्लमयगा गिरिपडियगा तरु पडियगा मरुपडियगा गिरिपक्खंदोलिया तरुपक्खंदोलिया मरुपक्खंदोलिया जलपवेसिगा जलणपवेसि. का विसभक्खियगा सत्थोवाडियगा वेहाणसिया गि
पगा कंतारमयगा दुब्भिक्खमयगा असंकिलिठ्ठपरिणामाते कालमासे कालं किच्चा अरणयरेसु वाणमंतरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्तारो भवति, तहिं तेसिं गई तहिं तेसिं ठिई तहिं तेसिं उववाए पण्णत्ते । तेसि णं भंते! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! बारसवाससहस्साइं ठिई पण्णत्ता अधि णं भंते! तेसिं देवाणं इड्ढी वा जुई वा जसे इ वा बले इ वावीरिए इ वा पुरिसक्कार परिकमे इ वा ? हंता अस्थि । ते णं भंते! देवा पर लोगस्स चाराहगा ? णो इट्ठे समठ्ठे ॥ ३ ॥
Į
से जे इमे गामगर जाव संनिवेसेसु मणुया भवंति तं जहा - पगइभहगा पगइउवसंता पगइपतणुको हमाणमाया लोहा मिउमद्दव संपण्णा लीणा
६.६

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