Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 47
________________ वाई सूतं बाउल्लोइयमहियं गोसीससरसरत्तचंदण जाव गंधभूयं करेह कारवेह करित्ता कारवेत्ता एयमाणन्तियं पचप्पिणाहि । णिज्जा हिस्सामि समणं भगवं महावीरं अभिवंद ॥ ( सू० ३०) तए णं से बलवाउए कूणिएणं रणा एवं वृत्ते समाणे हठ्ठतुट्ठ जाव हियए करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी- सामित्ति आणाए विणणं वयणं पडिसुणेइ २त्ता हत्थिवाउयं आमंतेह आमंतेत्ता एवं वयासिखिप्पामेव भो देवाप्पिया ! कूणियस्स रणो भंभसारपुत्तस्स अभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिक पेहि हयगयरहपवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं. सरणाहेहि सरणार्हन्ता एयमाणत्तियं पञ्चष्पिणाहि । ४३ तए गं से हत्थिवाउए बलवाउयस्स एयमई सोचा आणाए विएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुपित्ता [ ] छेयायरिय उवएसमइविकप्पणाविकप्पे-हिं सुणिउणेहिं उज्जल ऐवत्थहत्थपरिवस्थियं सुसज्जं धम्मिय सण्णद्धवद्भकव इयउप्पी लियकच्छवच्छगेवेबद्धगलवर भूसणविरायंतं अहियतेयजुत्तं सललियवर करणपूरविराइयं पलंब उच्चूलमहुयरकथंयारं चित्तपरिच्छेअपच्छयं पहरणावरण भरियजु

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