Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
View full book text
________________
उववाई सूतं चाउरंतचक्कवट्टीणं दीवो ताणं सरणं गई पइष्टा अप्पडिहयवरनाणदसणधराणं वियदृछउमाणं जिणाणं जावयाणंतिण्णाणंतारयाणंबुद्धाणंबोहयाणंमुत्ताणं मोयगाणंसव्वएणणं सव्वदरिसीणं सिवमयलमरुय. मणंतमक्खयमव्वा बाहमपुणरावत्ति सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमोऽत्युणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स प्रादिगरस्स तित्थगरस जाव संपाविइकामस्सममधम्मायरियस्सधम्मोवदेसगस्स,वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इहगए, पासउ मे सिमे भगवं तत्थगएइहगयंति कटुवंदइणमंसह वंदित्ताणमंसित्ता सोहासणवरगए पुरत्याभिमुहे निसीयइ,निसीइत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अत्तरं सयसहस्सं पीइदाणं दलयइ, दलइत्ता सकारेह सम्माणेइ सकारिता सम्माणित्ता एवं वयासी-- ____ जया णं देवाणुपिया ! समणे भगवं महावीरे इहमागच्छेज्जा इह समोसरिज्जा इहेव चंपाए णयरीए बहिया पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिणिहत्ता [अरहा जिणे केवली समणगणपरिवुडे ] संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरेजा तया णं मम एयमé निवेदिज्जासित्ति कद्द विसज्जिए॥

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110