Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
View full book text
________________
उबवाई सूत्तं खुजाहिं चिलाईहिं वामणीहिं वडभीहिं बब्बरीहिं पउयासियाहिं जोणियाहिंप ण्हवियाहिं इसिगिणियाहि वासिइणियाहिं लासियाहिं लउसियाहिं सिंहलीहिं दमिलीहिं प्रारबीहिं पुलिंदीहिं पक्कणीहिं बहलीहिं मरुंडीहिं सबरियाहिं पारसोहिं णाणादेसीविदेसपरिमंडियाहिं इंगियचिंतियपत्थियविजाणियाहिं सदेसणेवत्थग्गहियवेसाहिं चेडियाचकवालवरिसधरकंचुइज्जमहत्तरवंदपरिक्खित्तात्रो अंतेउरात्रो णिग्गच्छंति २ त्ता जेणेव पाडिएकजाणाई तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता पाडिएक्कपाडिएकाई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई दुरूहंति दुरूहित्ता णियगपरियाल सद्धिं संपरिबुडाओ चंपाए णयरोए मज्झमझेणं णिग्गच्छति णिग्गच्छित्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेएइ तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणस्स भगवत्रो महावीरस्म अदूरसामंते छत्तादीए तित्थयराइसेसे पासंति पासित्ता पार्डिएकपाडिएक्काइं जाणाइं ठवेति ठवित्ता जाणेहिंतो पच्चोरहंति २त्ता वहहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्तानो जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति २ त्ता समणं भगवं महावीरं पंचवि. इणं अभिगमेणं अभिगच्छंति, तं जहा (१) सचि.

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110