Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 71
________________ उववाई सूत्तं [ ] विणीया अम्मापिउसुस्सूसगा अम्मापिईणं अणइकमणिज्जवयणा अप्पिच्छा अप्पारंभा अप्परिग्गहा अप्पेणं आरंभेणं अप्पेणं समारंभेणं अप्पेणं प्रारंभसमारंभेणं वित्तिं कप्पेमाणा बहूई वासाई आउयं पालंति पालित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्पयरेसु वाणतंरेसु तं चेव सव्वं णवरं ठिई चउद्दसवाससहस्साई [देवा परलोगस्साराहगा ? णो इणट्टे समढे] ॥ ७ ॥ से जानो इमाश्रो गामागर जाव संनिवेसेसु इत्थियात्रो भवति, तं जहा-अंतोअंतेउरियानो गयपइयारो मयपझ्याश्रो बालविहवाश्रो छड्डियल्लियारो माइरक्खियाओ पियरक्खियाओ भायरक्खियाओ[ ] कुलघररक्खियाओ ससुरकुलरक्खियाओ [ ] परूढणहमंसकेसकक्खरोमाओ ववगयपुप्फगंधमल्लालंकाराअो अण्हाणगसेयजल्लमलपंकपरितावियाओ ववगयखीरदहिणवणीयसप्पितेल्लगुललोणमहुमजमंसपरिचत्तकयाहारानी अप्पिच्छायोअप्पारंभाप्रोअप्पपरिग्गहारोअप्पेणं आरंभेणं अपेणं समारंभेणं अपपेणं प्रारंभसमायंभेणं वित्तिं कप्पेमाणीग्रो अकामबंभचेरवासेणं तामेव पइसेजं णाइकमइ ताओ णं इथियारो

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