Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
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उववाई सूत्तं एगंतबाले एगंतसुत्ते पावकम्मं अपहाइ ?-हंता अण्हाइ॥१॥ ' जीवे णं भंते ! असंजए जाव एगंतसुत्ते मोहणिज्जं पावकम्म अण्हाइ-? हंता अरहाइ ॥२॥
जीवे भंते! मोहणिज्जं कम्मं वेदेमाणे किं मोहणिज कम्मंबंधइ ? वेयणिज्जंकम्मं बंधइ ? गोयमा! मोहणिज्जंपि कम्मं बंधइ वेयणोजंपि कम्मं बधइ, णण्णत्थ चरिममोहणिज्ज कम्मं वेदेमाणे वेअणिजं कम्मं बंधह णो मोहणिज कम्मं बंधइ ॥३॥
जीवे णं भंते ! असंजए जाव एगंतमुत्ते श्रोसरण तसपाणघाई कालमासे कालं किच्चा णेरइएसु उववजइ ?, हंता उववजई ॥४॥
जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इअो चुए पेच्चा देसिया ? गोयमा! अत्थेगइया देवे सिया अत्थेगइया णो देवे सिया ॥
से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया देवे सिया अत्थेगइया णो देवे सिया ? गोयमा !, जे. इमे जीवा गामागरणयरणिगमरायहाणिखेडकबडमडंबदोणमुहपट्टणासमसंवाहसगिणवेसेसु अकामतबहाए अकामछुहाए अकामबंभचरेवासेणं अकाम

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